उमीदो की तलाश मई गुज़रता हुआ मुसाफिर...
सफ़र की आँधियों से घबराया नही करता...
तूफान का कहर चाहे कितना गहरा क्यू ना हो ...
मुसाफिर अपना सफ़र अधूरा छोड़ा नही करता!!!
अपने हाथो की लकीरो मे बसा ले मुझको
मैं हू तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको
मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के मानी
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको
खुद को मैं बाँट ना डालू कही दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको
वादा फिर वादा है मे ज़हर भी पी जाऊ क़ातिल
शऱ्त ये है कोई बाहो मे संभाले मुझको
एक शम्मा अंधेरे में जलाए रखना,
सुबा होने को है मौहौल बनाए रखना,
कौन जाने वो किस गली से गुज़रे,
हर गली को फूलो से सजाए रखना!
मेरी साँसों में बिखर जाओ तो अच्छा है...
बन के रूह मेरे जिस्म में उतार जाओ तो अच्छा है...
किसी रात तेरी गोद में सिर रख कर सो जाओं मैं...
उस रात की कभी सुबह ना हो तो अच्छा है...
आदत बदल दू कैसे तेरे इंतेज़ार की
ये बात अब नही है मेरे इकतियार की
देखा भी नही तुझ को फिर भी याद करते है
बस ऐसी ही खुश्बू है दिल मे तेरे प्यार की
उन्हे दिन रात किया करते थे,
अब उन राहों से गुज़रा नही जाता,
जहाँ बैठ कर उनका इंतेज़ार किया करते थे.
तरस गए आपके दिदार को ।
फिर भी दिल आप ही को याद करता है ।
हमसे खुश नसिब तो आपके घर का आईना है ।
जो हर रोज आपके हुस्न का दिदार करता है ।
ज़िंदगी मे प्यार किसने पाया है,
हम यादों में झूमते है तुम्हारी और ज़माना कहता है,
देखो आज फिर पीकर आया है…
कत्मे अदम से उनका हमें इन्तिज़ार है !
लगता है हर दियार, उन्ही का दियार है !!
हारे हैं बार-बार बुला कर तुम्हें, सनम !
अब आ भी जाइये, कि, जिगर बेक़रार है !!
हम रूठे दिलो को मानने में रह गये..
गैरो को अपना दर्द सुनने मे रह गये..
मंज़िल हमारे करीब से गुज़र गयी..
और हम औरो को रास्ता दिखाने मे रह गये.!!
ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा
यहाँ तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा!!
वही उम्मीद, वही इंतेजार तेरा करते हैं,
उसी इश्क़ से, उसी चाहत से,
उसी प्यार से, उसी मान से,
मुझे आज फिर से मिल जाओ,
की मन बहुत दीनो से उदास हैं.
ज़ख़्म इतने गहरे है हमको मालूम ना था,
हम खुदी पर वार करते रहे यह ख़याल ना था,
खुद ही लाश बन गये इस ख़याल से के जनाज़े पे वो मेरे आएँगे,
अब इस से ज़्यादा उनके दीदार का इंतिज़ार क्या करे.
ज़िंदगी तस्वीर भी ओर तक़दीर भी हैं
फराक तो बस रंगो का हैं
मानचाहे रंगो से बने तो तस्वीर
ओर आंजने रंगो से बने तो तक़दीर
कौन कहता है इश्क़ मे बस इकरार होता है,
कौन कहता है इश्क़ मे बस इनकार होता है,
तन्हाई को तुम बेबसी का नाम ना दो,
क्यूंकी इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतेज़ार होता है.
तुम आये तो लगा हर खुशी आ गई
यू लगा जैसे ज़िन्दगी आ गई
था जिस घड़ी का मुझे कब से इंतज़ार
अचानक वो मेरे करीब आ गई ……
उनके दीदार के लिए तपड़ता है दिल,
उनके इंतेज़ार में तरसता है दिल,
क्या कहे इश्स कमबख़त ज़िंदगी को,
होकर अपना किसी और के लिए धड़कता है दिल.
ये ज़िंदगी तब हसीन होती है...
जब हर दुआ कबूल होती है,
कहने को तो सब अपने है...
पर काश कोई ऐसा हो
जो ये कहे तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ़ होती है...
नज़रें मेरी कहीं तक ना जायें,
बेवफा तेरा इंतेज़ार करते करते,
यह जान यूँ ही निकल ना जाए,
तुम से इश्क़ का इज़हार करते करते…
ज़िंदगी हसीन है इससे प्यार करो…
हर रात की नई सुबा का इंतजार करो
वो पल भी आएगा, जिसका आपको इंतजार है
बस अपने रब पर भरोसा और वक़्त पर ऐतबार करना…
इतना ऐतबार तो अपनी धड़कनो पर भी हमने ना किया,
जितना आपकी बातों पर करते हैं;
इतना इंतेज़ार तो अपनी साँसों का भी ना किया,
जितना आपके मिलने का करते हैं!
मेरी आखों में तुम अपनी दुनिया बसा लेना,
मेरे दिल में तुम अपना घर बना लेना,
तेरे दिल में जान है मेरी,
तुम अपनी जान को मेरी जान बना लेना.
तन्हैइिओं मे उनको ही याद करते हैं
वो सलामत रहे यही फरियाद करते है,
हम उनके ही मोहब्बत का इंतेज़ार करते है
उनको क्या पता हम उनसे कितना प्यार करते है .
मेरी ज़िंदगी तो आप है,
कहाँ जी रहे है हम आप के बिना,
अब तो मौत को सीने से लगाने की
इंतेज़ार मे बैठे है हम.
इजहार-ए-महोब्बत करने के लिए तुमसे, मैं कैसे कोई तारीख तय कर इंतजार करू.,
बेइन्तहा महोब्बत है तुमसे, ख्वाहिश इतनी ही तुम्हे आखरी साँस तक प्यार करू
बहुत हो चुका इंतेज़ार उनका,
अब और ज़ख़्म सहे जाते नही,
क्या बयान करें उनके सितम को,
दर्द उनके कहे जाते नही…
सुर्ख आँखो से जब वो देखते है..
हम घबराकर आँखे झुका लेते है..
क्यू मिलाए उन आँखो से आखे..
सुना है वो आखो से अपना बना लेते है.